नज़रे करम मुझ पर इतना न कर,
की तेरी मोहब्बत के लिए बागी हो जाऊं,
मुझे इतना न पिला इश्क़-ए-जाम की,
मैं इश्क़ के जहर का आदि हो जाऊं।
तू अपने दिल का जख्म दिखा तो सही, मैं तेरी उम्र भर की दवा ना बन जाऊं तो कहना...!
उफ्फ..! तुम्हारे यह नखरे में पूरी जिंदगी उठाऊंगा..
अब तो नींद भी नहीं आती तुम्हारे ख्वाब... खुली आंखों से भी देख लेती हूँ..